Click Here Welcome back ! Feel free to look around. If you like what you read, mention us in your post or link to this site. Hope to see you again

Kuch log ese hote hai jo itihash padhte hai,Kuch Ithihash Padhate hai, Kuch ese hote hai Jo NYDC mein aate hai Or Khud Itihash Banate Hai. Jai Hind Jai Bharat!...Khem Chand Rajora....A Great Leader's Courage to fulfill his Vision comes from Passion, not Position...Gajendra Kumar....National Youth Development Committee is a Platform which remove the hesitation and improve the motivation and talent of the Youth...Manu Kaushik..!!

About Manu

▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬

मैं अपने प्यारे भारत को स्वर्ग से भी सुंदर बनाना चाहता हूँ जहाँ देवता भी आने को तरसें..इसे फ़िर से सोने की चिडि़या और विश्वगुरु बनाना चाहता हूँ ना सिर्फ़ धर्म के मामले में बल्कि हरेक क्षेत्र में..अपने देश को मैं फ़िर से इतना शक्तिशाली बना देना चाहता हूँ कि अगर ये जम्हाई भी ले ले तो पूरे विश्व में तूफ़ान आ जाय. मैं अपने भारतवर्ष ,अपने माता-पिता तथा सनातन वैदिक धर्म से अगाध प्रेम और सम्मान करता हूँ |
हमारे बारे में, हम बताएँगे, फिर भी, क्या आप समझ पाएंगे, नहीं न, फिर क्या, हम बताते आप उलझ जाते, आप समझते तो हम मुकर जाते, क्यूंकि अब किसी को किसी के बारे में जानने की, न तो चाहत है और न ही फुर्सत है |
वन्दे मातरम्... जय हिंद... जय भारत...
कोशिश तो कोई करके देखे,यहाँ सपने भी सच होते है ।
ये दुनिया इतनी बुरी नहीं, कुछ लोग अच्छे भी होते है ।।
~ मनु कौशिक

▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬


Saturday 18 August 2012

गुरु और शिष्य


एक बार एक विदेशी युवा वैज्ञानिक ने शरीर विज्ञान के माध्यम से आंतरिक रंगों का गहन अध्ययन किया। रंगों का अध्ययन करने के बाद उसने कुछ नए तथ्य खोज निकाले। महान वैज्ञानिक डॉ . सी . वी . रमन को इसका पता चला तो उनमें इसके प्रति उत्सुकता पैदा हुई। वह उस युवा वैज्ञानिक की प्रयोगशाला में जा पहुंचे। तब तक रमन को नोबेल पुरस्कार भी मिल चुका था। जब युवा वैज्ञानिक ने अंतरराष्ट्रीय ख्याति के वैज्ञानिक को अपनी प्रयोगशाला में देखा तो दंग रह गया। उसने रमन का स्वागत करते हुए संकोच के साथ उन्हें बैठने को कहा। लेकिन डॉ . रमन बैठे नहीं। उन्हें खड़ा देखकर युवा वैज्ञानिक बोला , ' सर , आप यहां तक आए हैं , यह मेरा परम सौभाग्य है। मैं तो सपने में भी नहीं सोच सकता था कि आप जैसे महान वैज्ञानिक कभी मेरी प्रयोगशाला में आ सकते हैं। कृपया आप बैठिए। '

रमन बोले , ' मेरी विवशता है कि मैं आपके सामने बैठ नहीं सकता। ' युवा वैज्ञानिक ने आश्चर्य से कहा , ' सर , भला आपके साथ ऐसी क्या विवशता है जो आप मेरे सामने बैठ नहीं सकते ? आप तो हर तरह से मुझसे बड़े और सम्मानीय हैं। ' रमन मुस्करा कर बोले , ' आपने रंगों के कुछ नए प्रयोग किए हैं और उसी संबंध में मैं आपसे कुछ ज्ञान प्राप्त करने आया हूं । इसलिए मैं आपका शिष्य हूं और आप मेरे गुरु। भला मैं गुरु के सामने कैसे बैठ सकता हूं ? क्या आप मुझे रंगों के विषय में कुछ ज्ञान देंगे ?' युवा वैज्ञानिक रोमांच और प्रसन्नता से बोला , ' हां सर अवश्य। बताइए मैं कब आपके पास हाजिर हो जाऊं ?' डॉ . रमन बोले , ' ज्ञान मुझे प्राप्त करना है। गुरु शिष्य के पास कभी नहीं आता। शिष्य को गुरु के पास जाना चाहिए। आप अपनी सुविधानुसार मुझे समय बता दीजिए। ' युवा वैज्ञानिक के जीवन का वह सबसे स्वर्णिम क्षण था। उसने डॉ . रमन को समय दिया और मन ही मन उनकी विनम्रता व शालीनता का कायल हो गया।

No comments:

Post a Comment